महालक्ष्मी नगर में अवैध बहुमंज़िला इमारतें बन रहीं सिरदर्द, मूलभूत सुविधाएँ हो रही बर्बाद


नीरज द्विवेदी – वाघेला एक्सप्रेस, इंदौर



इंदौर के पॉश और तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र महालक्ष्मी नगर की छवि आज अवैध निर्माण और प्रशासनिक उदासीनता के चलते बिगड़ती जा रही है। एक समय जिस इलाके को व्यवस्थित शहरी जीवन के लिए जाना जाता था, आज वह क्षेत्र अवैध हॉस्टलों, बहुमंज़िला इमारतों, होटल्स, रेस्टोरेंट्स और कैफे की भरमार के कारण बुनियादी समस्याओं की दलदल में फंसता जा रहा है।

महालक्ष्मी नगर में बाहर से आने वाले विद्यार्थियों की बेतहाशा संख्या ने न केवल सामाजिक संतुलन को बिगाड़ा है, बल्कि क्षेत्र में बिना नक्शा पास कराए खड़ी की गईं बहुमंज़िला इमारतें और अवैध हॉस्टल्स आज स्थानीय रहवासियों के लिए जी का जंजाल बन चुके हैं।

अवैध व्यवसायिक निर्माण: 1500 स्क्वेयर फीट पर 30 लोग

यहां की हालत यह है कि मात्र 1000 से 1500 वर्गफुट के भूखंड पर 20 से 30 लोग एकसाथ रह रहे हैं — वह भी किसी सुरक्षित योजना या व्यवस्था के बिना। मकान मालिक खुद क्षेत्र में मौजूद नहीं हैं, लेकिन अवैध इमारतें खड़ी कर किराये से दे रहे हैं। इन इमारतों में फायर सेफ्टी, सीवरेज, कचरा निपटान जैसी मूलभूत सेवाओं का अभाव है। नगर निगम द्वारा समय-समय पर नोटिस दिए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती, जिससे अवैध निर्माणकर्ताओं के हौसले और बढ़ जाते हैं।

गंदे पानी ने खोली पोल: ड्रेनेज को जोड़ा नर्मदा पाइपलाइन से

माहभर से क्षेत्र में नर्मदा जल सप्लाई में गंदे पानी की मिलावट की समस्या बनी हुई थी। जब निगम की टीम ने इलाके में जांच शुरू की, तो नरीमन रोड पर एक अवैध रेस्टोरेंट संचालक द्वारा नर्मदा लाइन में अवैध कनेक्शन जोड़ने की सनसनीखेज़ जानकारी सामने आई। बिना किसी तकनीकी जानकारी के पाइपलाइन में छेड़छाड़ की गई, ड्रेनेज चैंबर को फाड़ा गया और टूटे हिस्से को जबरन ढककर पानी लाइन चालू कर दी गई। यह घटना ना केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई बल्कि इसने यह भी उजागर कर दिया कि कैसे इन अवैध व्यापारिक गतिविधियों के कारण पूरा सिस्टम चरमरा रहा है।

60 फीट रोड बनी 30 फीट: अतिक्रमण के चलते ट्रैफिक और सुविधाएँ दोनों जाम

क्षेत्र की सड़कों की हालत भी किसी से छुपी नहीं। जिन मार्गों की चौड़ाई 60 फीट नियोजित थी, वे 30 फीट में सिमट गए हैं। वजह? ग्रीन बेल्ट के नाम पर अतिक्रमण कर वहां चारदीवारी और प्लांटेशन कर दिया गया है। इसी के चलते नर्मदा लाइन और ड्रेनेज चैंबर भी अवरुद्ध हो गए हैं।

दबाव से टूटी व्यवस्था: जनसंख्या अनुमान से दोगुना बोझ

महालक्ष्मी नगर के लिए जब कॉलोनाइज़र और निगम ने मूलभूत सुविधाएँ तय की थीं, तब जनसंख्या दबाव का एक मानक निर्धारित था। लेकिन आज अवैध भवनों के कारण वह दबाव दोगुना से भी अधिक हो चुका है। फलस्वरूप, पानी, ड्रेनेज, सड़क और कचरा जैसी सुविधाएँ जवाब देने लगी हैं।

निगम की प्रतिक्रिया: "अब होगी सख्त कार्यवाही"

इस पूरे मुद्दे पर जोन 8 की अध्यक्ष एवं वार्ड 37 की पार्षद संगीता महेश जोशी ने बताया –


“निगम की टीम पिछले एक महीने से पानी की समस्या पर लगातार काम कर रही है। बड़ी मुश्किल से असली फॉल्ट का पता चला जिसे सुधार दिया गया है। अवैध कनेक्शन जो नर्मदा पाइपलाइन में लगाया गया था, उसे बंद किया गया है। हम ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई करेंगे, ताकि भविष्य में मूलभूत सेवाओं को कोई नुकसान न पहुंचे। अवैध हॉस्टल और होटल्स पर भी अब बड़ी कार्यवाही की जाएगी।”

क्या अब जागेगा प्रशासन?

महालक्ष्मी नगर आज निर्माण माफिया, प्रशासनिक सुस्ती और योजनाहीन विकास का प्रतीक बनता जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक स्थानीय रहवासी बुनियादी समस्याओं से जूझते रहेंगे? क्या निगम सिर्फ नोटिस देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेगा या अब सच में कोई कठोर कार्रवाई की जाएगी? यदि जल्द ही प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई, तो महालक्ष्मी नगर एक मॉडल कॉलोनी की बजाय अराजकता और अव्यवस्था की मिसाल बनकर रह जाएगा।

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