दोनो पर दंडात्मक कार्यवाही की अनुशंसा भी
इंदौर।(सात्विक गुप्ता 8959346146) कुछ पुलिस अधिकारी की मनमानी कार्यशैली ऐसी होती है, मानो वो जो करेंगे वो ही होगा, उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, उनको पुलिस पॉवर का और उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही नहीं होने का गुमान/घमंड होता है, इस तरह का व्यवहार अधिकतर प्रमोटी टीआई और वो पुलिस अफसर करते है जिनका पाला कानून को समझने वालों से नहीं पड़ा होता है, ये मामला छोटा सा है किंतु कानून के जानकार वकील के कारण परिणाम बड़ा आया है, 107, 116 का कथित प्रकरण प्रस्तुत करने पर टीआई, एएसआई को लाईन अटैच करने के साथ विभागीय दंडात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की गई है.....ये प्रापर्टी विवाद का मामला है और इंदौर में प्रापर्टी विवाद में सही व्यक्ति को धुर समझा जाता है....
निर्दोष का भी, पुलिस अपराधिक रिकॉर्ड बना देती है —
कोई अपराधी अपराध छोड़ना चाहे तो पुलिस छोड़ने नही देती है और पुलिस कैसे निर्दोषों का आपराधिक रिकार्ड बना कर, उसे बदनाम करके, अपराधी घोषित कर देती है, ये प्रकरण इन कहावतों का उदाहरण है...पुलिस ने जिस फरियादी का मेडिकल करवा कर, उसके हाथ पर, सरकारी अस्पताल से पट्टा चढ़वाया, उसे टीआई ने कह दिया — " जब तक हाथ में फेक्चर होने की मेडिकल रिपोर्ट नहीं आएगी, तब तक एफआईआर दर्ज नहीं करेंगे " , टीआई ने फरियादी को ये बात ऐसे कही जैसे पुलिस ने, आरोपी के द्वारा जबरन घर में घुस कर मारपीट करने और धमकी देने पर कभी भी एफआईआर ही दर्ज नहीं की होंगी, खैर जब फरियादी कानून के समझदार वकील के पास पहुंचे और उन्होंने थाने में आरटीआई आवेदन दाखिल करवा कर, प्रकरण के दस्तावेज मांगे तो जूनी इंदौर थाने के प्रमोटी पूर्व टीआई शैलेन्द्र सिंह जादौन ने फरियादी पर ही 107, 116 की कार्यवाही कर दी....
निर्दोष का अपराधिक रिकॉर्ड बनाने की साजिश
अब ये निर्दोष को अपराधी बना कर, फरियादी का अपराधिक रिकॉर्ड बनाने की श्रेणी में क्यों नहीं आता है ? ये तो ज्ञानी पुलिस अफसर ही बता सकते है !? खैर परेशान फरियादी जो स्वयं भी एलएलबी शिक्षित होकर आयकर, जीएसटी के वकील है ने कानून के समझदार वकील राजेन्द्र के.गुप्ता (9827070242) से संपर्क किया और अपना केस गुप्ता को दिया, वकील गुप्ता ने केस के दस्तावेजों को समझ कर, टीआई को कानूनी सबक सिखाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करवा कर, खानदानी तथाकथित कानूनविद टीआई जादौन को लाईन का रास्ता दिखवा दिया.... टीआई जादौन फरियादी के सामने, दो अन्य व्यक्तियों को उनकी पुलिस पृष्ठ भूमि के परिवार से होने की डींगे हांक रहे थे, इसलिए हम यहां टीआई जादौन को तथाकथित खानदानी कानूनविद लिख रहे है....जादौन पहली बार इंदौर के थाने पर पदस्थ हुए थे....
टीआई और प्रकरण के जांच अधिकारी एएसआई पर विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा —
टीआई जादौन के विरुद्ध हुई शिकायत पर, वरिष्ठ अधिकारी ने एसीपी जूनी इंदौर देवेन्द्र सिंह धुर्वे को जांच सौंपी, एसीपी धुर्वे ने निष्पक्ष जांच की और शिकायतकर्ता से बयान और दस्तावेजी साक्ष्य लेकर टीआई शैलेन्द्र सिंह जादौन और जांच अधिकारी एएसआई ओमप्रकाश सोलंकी को दोषी पाए जाने का प्रतिवेदन दिनांक 12/112024 और प्रतिवेदन दिनांक 16/12/2024 डीसीपी को भेज कर विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की है, फिलहाल मामला डीसीपी कार्यालय में लंबित है।
आरटीआई लगाई तो मिला प्रतिवेदन
शिकायतकर्ता एडवोकेट व्हीसल ब्लोअर आर.के. ने एसीपी कार्यालय में आरटीआई आवेदन लगा कर प्रतिवेदन की प्रति मांगी उसके बाद प्रतिवेदन डीसीपी कार्यालय भेजा गया और प्रतिवेदन की प्रमाणित प्रतियां दी गई, जिससे टी आई और एएसआई पर विभागीय कार्यवाही करने की अनुशंसा का खुलासा हुआ है।
एसीपी ऑफिस के बाबू ने भी समझौता करवाने की बात की —
जब टीआई जादौन के द्वारा घटना दिनांक 17/02/2024 के तीन महीने बाद फरियादी पर 107, 116 की गलत कार्यवाही करने पर हुई शिकायत जांच के लिए आई तो एसीपी ऑफिस के बाबू और एएसआई सोलंकी ने फरियादी को बुला कर और मिल कर समझौता करवाने का प्रयास किया।
खंडहर पड़े कमरे का विवाद
मामला जूनी इंदौर थाना क्षेत्र में स्थित कॉलोनी मॉडल टाउन में बने मकान के कमरे के विवाद का है, फरियादी के पिता ने परिवार की रिश्तेदार महिला पर दया दिखाते हुए रहने के लिए एक कमरा दे दिया था, अब उस कमरे को खाली करने के लिए महिला का आजाद नगर निवासी ऑटो चालक बेटा अकरम, फरियादी मकान मालिक सलीम खान (एडवोकेट आयकर, जीएसटी) से मोटी राशि की मांग रहा है और आजाद नगर से मॉडल टाउन मौके पर आ कर आए दिनों विवाद करता है, अकरम ने अपने साथियों के साथ सलीम के घर पहुंच कर रॉड से मारा था और धमकियां दी थी, जिसका पुलिस ने मेडिकल करवा कर सलीम के हाथ पर पट्टा चढ़वाया था किंतु एक्सरे में फेक्चर नहीं आने के कारण अकरम पर एफआईआर दर्ज नहीं की। इस प्रमाणित कारण से टीआई जादौन पर अकरम से सांठ गांठ करके कार्यवाही नहीं करना प्रमाणित हुआ। एसीपी धुर्वे ने टी आई और एएसआई सोलंकी के बयान भी लिए । एएसआई सोलंकी ने भी अपने बयान में टीआई जादौन के द्वारा फेक्चर नहीं होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं करने के निर्देश का जिक्र किया। टीआई की शिकायत पर जांच बैठने के बाद एएसआई सोलंकी ने भी फरियादी से मिल कर मामले में समझौता करवाने के प्रयास किए।
को दोनो पर विभागीय कार्यवाही करने का जांच प्रतिवेदन
एसीपी धुर्वे ने दिनांक 12/11/2024 और दिनांक 16/11/2024 को पुलिस उपयुक्त जोन 4 को भेजे गए प्रतिवेदन में टीआई और एएसआई पर दंडात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा का प्रतिवेदन भेजा है। अब डीसीपी कार्यालय से कार्यवाही की जानकारी मांगी जा रही है। ये मामला भले ही छोटा हो किंतु ये साबित करता है कि कुछ पुलिस अफसरों को लगता है वो मन मर्जी से कुछ भी करेंगे, निर्दोष को आरोपी बना देंगे तो भी उनका कुछ नहीं होगा, किंतु कानून के जानकार और सही प्रक्रिया, लिखा पढ़ी करने से परिणाम आता है। इस केस में यह भी साबित हो गया है कि टीआई ने सांठ गांठ करके, समझौता करवाने का प्रयास करके पदीय कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया और घटना के तीन महीने बाद बिना किसी विवाद के हुए फरियादी पर ही 107, 116 की कार्यवाही प्रस्तुत कर दी जो फरियादी पर दबाव बनाने और भय बनाने की श्रेणी में आता है। अब देखना ये है कि टी आई और ए एस आई पर किस प्रकार की दंडात्मक कार्यवाही की जाती है क्योंकि लाईन अटैच करना और निलंबित करना दंडात्मक कार्यवाही की श्रेणी में नहीं आती है...पढ़ते रहें, हम नजर रखे हुए है, लिखते रहेंगे....
बॉक्स में लगाना
ज्ञात हो की पूर्व जूनी इंदौर थाना टीआई जादौन के केबिन में घुस कर एक लड़के ने सिगरेट से धुएं के छल्ले उड़ते हुए, फिल्मी अंदाज में टीआई को चैलेंज किया था...जिसका वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था और मीडिया में प्रमुखता से फोटो सहित खबरें आई थी...
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