इंदौर की सीमा में दो साल पहले 79 गांव शामिल करने की घोषणा, तभी से चारों और विद्रोह!
ज़मीन अधिग्रहण का भारी विरोध
भारतीय किसान संघ गांवों के मास्टर प्लान के पक्ष में जिससे कि मालवा की हज़ारों हैक्टेयर सिंचित भूमि बच सके। और शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था ग्रामों में ही उपलब्ध हो सके । इसीलिए भारतीय किसान संघ लागतार इंदौर विकास प्राधिकरण को भंग करने की माँग लिखित रूप में कर रहा है
क्योंकि प्राधिकरण का जन्म मास्टर प्लान की सड़कों के निर्माण के लिए हुआ था। जो बाद में विशुद्ध रुप से कॉलोनाइजर बन गया है वर्ष 2021 का मास्टर प्लान विधिवत घोषित नहीं हुआ और वर्ष 2035 और 2047 की काल्पनिक योजना तैयार की जा रहीं है जिसमें पचास लाख की जनसंख्या की कल्पना की जा रहीं है I परंतु इस जनसंख्या के लिए खाद्य पदार्थ कहा से लाएंगे? उसकी महंगाई कितनी होगी ? उस पर आज तक कोई जनप्रतिनिधि नहीं बोलते है क्योंकि वह जानते है कि भूमि का उत्पादन संभव नहीं है । यह विचारण, भारतीय किसान संघ के कई पदाधिकारियों के चिंतन का विषय है। इसलिए भारतीय किसान संघ ने भूमि के अधिग्रहण के बदले उसी पटवारी हल्के में उसी प्रकृति की 2 गुना भूमि की मांग शासन के सामने रखी है ताकि शासन की आंख खुल सकें कि भूमियों का अनियंत्रित अधिग्रहण नहीं हो।
साथ ही, संयुक्त किसान मोर्चा भी लागतार विरोध कर रहा है। वर्तमान में किसानों की साक्षरता के कारण अधिकांश जगह कलम का विरोध बढ़ता जा रहा है जो किसी भी शासन की बड़ी समस्या हैं
उसके बाद भी शासन इस रूपरेखा के साथ आगे बढ़ रहा है !
79 गांवों में यशवंत सागर के आसपास के गांव भी शामिल है। तालाब के आसपास का क्षेत्र नए मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट में आ सकता है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी बड़े तालाब है। अभी लैंडयूज भी तय होना बाकी है।
वर्ष 2008 में बनी इंदौर विकास योजना (मास्टर प्लान) तीन साल पहले समाप्त हो चुकी है। अब तक नया मास्टर प्लान नहीं बना, लेकिन बेतरतीब विकास रोकने के लिए नगर तथा ग्राम निवेश ने 79 गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी, लेकिन वहां के लैंडयूज तय नहीं है।
अब उन 79 गांवों का विकास ठप है। वहां न तो कॉलोनियां विकसित हो रही हैं और न ही किसान अपनी जमीन बेच पा रहे हैं। यह मुद्दा नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के सामने भी ग्रामीण उठा चुके हैं। अब विभाग जांच के बाद कुछ प्रोजेक्टों को हरी झंडी देने की तैयारी कर रहा है।
79 गांवों में यशवंत सागर के आसपास के गांव भी शामिल हैं। तालाब के आसपास का क्षेत्र नए मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट में आ सकता है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी बड़े तालाब है। अभी लैंडयूज भी तय होना बाकी है। इस कारण विभाग भी अनुमतियां देने में पसोपेश में है। पहले पंचायत स्तर पर जो अनुमतियां दी गई थीं। उस पर भी विभाग ने रोक लगा दी थी।
2041 के मान से बनेगा मास्टर प्लान : सांसद
सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि पहले नया मास्टर प्लान वर्ष 2035 के हिसाब से तैयार हो रहा था, लेकिन अब वर्ष 2041 के हिसाब से बनेगा। जल्दी ही इंदौर का मास्टर प्लान आ जाएगा। जिन गांवों में परेशानी आ रही है। उसका भी रास्ता निकाला जाएगा।
ये प्रमुख गांव शामिल हैं निवेश क्षेत्र में
79 गांवों को जोड़ने के बाद इंदौर के निवेश क्षेत्र का दायरा 88 हजार हेक्टेयर हो जाएगा। पहले यह 50 हजार हेक्टेयर था। निवेश क्षेत्र में पंचायत के बजाए नगर तथा ग्राम निवेश निर्माण की मंजूरी देता है और लैंडयूज के हिसाब से अनुमति मिलती है। इंदौर के निवेश क्षेत्र में खजुरिया, कांकरिया, टोड़ी, श्रीराम तलावली, रंगवासा, पिगडंबर, राऊ, माचल, असरावद खुर्द, उमरीखेड़ा, तिल्लौर खुर्द, मुंडला दोस्तदार, सोनवाय सहित अन्य गांव शामिल हैं। कई गांवों में बड़ी बड़ी कॉलोनियाँ विकसित हो चुकी हैं। परंतु वास्तविक खरीदार नहीं मिल रहे है इसलिए इंदौर के चारों और आज प्लॉट दो पहिया वाहन पर और छोटी सी छतरी लगा कर बिक रहे जबकि ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया ।
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