नीरज द्विवेदी वाघेला एक्सप्रेस
कोलकाता/हावड़ा – फिल्मों की कहानियों जैसी ये सच्ची घटना हावड़ा निवासी अमित दत्ता की है, जिसने 13 सालों तक एक दोहरी ज़िंदगी जी। दिन में वो एक आम, मिलनसार और मददगार पड़ोसी की भूमिका निभाता रहा, वहीं रात में वो एक अकेले ऑपरेट करने वाला चोर था। लेकिन हाल ही में किस्मत ने उसका साथ छोड़ दिया, जब एक घर में सेंध लगाने के दौरान वह पकड़ा गया।
46 वर्षीय अमित दत्ता की गिरफ्तारी ने पुलिस को एक ऐसे रहस्य की ओर मोड़ा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। पुलिस जब उसके तीन मंज़िला घर पहुंची, तो वहां उन्हें ऐसा वैभव और ऐश्वर्य देखने को मिला जो शायद एक फिल्मी विलेन के पास ही हो।
घर में झूमर, संगमरमर की फर्श, एक जिम, बाथटब, नया एसयूवी, इंडोनेशिया में की गई लग्जरी छुट्टियों की तस्वीरें, 'इनकम टैक्स' चुकाने के दस्तावेज़, यहां तक कि स्थानीय क्लबों में दिया गया भारी दान भी मिला। सबकुछ एक सभ्य, ईमानदार नागरिक की छवि गढ़ने की कोशिश का हिस्सा था।
'जेंटलमैन चोर' की कहानी
अमित दत्ता की कहानी फ्रेंच फिक्शनल कैरेक्टर ‘आर्सेन लुपिन’ से मेल खाती है – एक ऐसा चोर जो दिखने में आम होता है लेकिन होता है बेहद शातिर। उसका अंदाज़, उसकी सादगी ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी। वह किसी दीवार पर चढ़ने वाला निन्जा नहीं था, बल्कि शायद आपके घर से शक्कर मांगने वाला पड़ोसी था, जो उस दौरान आपके घर कीमती सामान का जायजा ले रहा था।
चोरी की प्लानिंग और हाई-टेक सुरक्षा
दत्ता की चालाकी इस बात से भी साबित होती है कि उसने अपने घर में कई CCTV कैमरे लगवाए थे – और वो भी चोरी किए गए पैसों से। यह कैमरे किसी और के नहीं, बल्कि उसके खुद के डर के लिए थे – उसे डर था कि कोई और चोर उसके महलनुमा घर में घुस न जाए।
समाज के लिए एक आइना
इस घटना ने एक बार फिर शहरी जीवन की उस विडंबना को उजागर किया है, जहां सामान्यता के पीछे असामान्य अपराध छुपे होते हैं। अमित दत्ता कोई फिल्मी किरदार नहीं, बल्कि एक सच्चा अपराधी था, जिसने सिस्टम और समाज की आंखों में धूल झोंक कर ऐशोआराम की ज़िंदगी जी।
जैसे कहा गया है, “सबसे चालाक चोर भी अपने जैसे किसी और के डर में जीता है।” अमित दत्ता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि झूठ और फरेब से बनाई गई दुनिया कभी न कभी ज़रूर उजागर होती है।
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