इंदौर में छोटे बिल्डरों की मनमानी पर नहीं लग रही लगाम – भवन निर्माण नियमों की धज्जियां उड़ाकर हो रहा अवैध निर्माण, भूमि विकास नियम 2012 और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम के स्पष्ट प्रावधानों का खुलेआम उल्लंघन
वाघेला पड़ताल -नीरज द्विवेदी
इंदौर में कॉलोनाइज़ेशन और बिल्डिंग निर्माण की बेतरतीब दौड़ थमने का नाम नहीं ले रही है। जहां अब तक बड़े बिल्डर और डेवलपर योजनागत और नियमविरुद्ध निर्माण के लिए बदनाम थे, अब छोटे बिल्डर भी अवैध निर्माण की होड़ में पीछे नहीं हैं। खासतौर पर रिहायशी क्षेत्रों में 1000 से 1500 वर्गफीट के प्लॉट्स पर 6 से 7 फ्लैट बनाकर खुलेआम बिक्री की जा रही है। इसके अलावा कई इलाकों में हॉस्टल और होटल निर्माण का सिलसिला भी जोरों पर है।
स्पष्ट नियम, फिर भी खुलेआम उल्लंघन
मध्य प्रदेश में "म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 (MP Bhumi Vikas Niyam 2012)" के तहत भवन निर्माण को लेकर कई स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं:
नियम 15.2 के अनुसार – 2000 वर्गफीट से कम क्षेत्रफल वाले भूखंडों पर G+2 से अधिक का निर्माण अनुमन्य नहीं है।
लेकिन वास्तविकता यह है कि कई कॉलोनियों में भूतल को पार्किंग दिखाकर G+3 या G+4 तक का निर्माण किया जा रहा है। यह नियमों की स्पष्ट अवहेलना है।
नियम 17.4 के अनुसार – यदि किसी भूखंड का क्षेत्रफल 3000 वर्गफीट से कम है, तो उस पर प्रकोष्ठीय निर्माण (मल्टीफ्लैट) की अनुमति नहीं दी जा सकती। बावजूद इसके छोटे बिल्डर ऐसे भूखंडों पर बहुमंजिला फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं।
नक्शा पहले आवासीय प्रयोजन के लिए स्वीकृत कराया जाता है और निर्माण के समय कमर्शियल कार्यों (हॉस्टल, गेस्ट हाउस, होटल) के लिए उपयोग किया जाता है, जो प्रचलित कानूनों की धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।
क्या कहता है टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट (TNCP Act)
मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 (M.P. Town and Country Planning Act, 1973) के अंतर्गत:
धारा 15 और 17 के अंतर्गत विकास योजना और भवन अनुमति का उल्लंघन दंडनीय अपराध है।
धारा 26 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के निर्माण करता है, तो प्राधिकरण उसे तोड़ने, सील करने या दंड देने का अधिकार रखता है।
नुकसान किसका हो रहा है?
1. नगर निगम और राज्य को – अवैध निर्माण से प्रॉपर्टी टैक्स, अनुमति शुल्क, विकास शुल्क की हानि होती है।
2. आम जनता को – नियमविरुद्ध भवनों में खरीदारों को न तो बीमा मिल पाता है और न ही भविष्य में लोन या वैध रजिस्ट्री।
3. शहर को – बेतरतीब निर्माण से यातायात, सीवरेज और नागरिक सुविधाओं पर बुरा असर पड़ता है।
प्रशासन का पक्ष
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी राजेश उदावत का कहना है:
"हमें जैसे ही रिहायशी क्षेत्रों में व्यावसायिक उपयोग या नियमविरुद्ध निर्माण की शिकायत मिलती है, हम तत्काल नोटिस जारी कर निर्माण रुकवाते हैं। कार्रवाई लगातार जारी है और किसी को भी नियमों से ऊपर नहीं माना जाएगा।"
ज़रूरत है सख्त निगरानी और जवाबदेही की
शहर में छोटे भूखंडों पर बढ़ते अवैध निर्माण ने प्रशासन के समक्ष नई चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे में यह आवश्यक है कि नगर निगम, टीएनसीपी विभाग और प्रशासन मिलकर लगातार निरीक्षण करें, डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से निगरानी बढ़ाएं और दोषियों पर एफआईआर व आर्थिक दंड की कार्रवाई सुनिश्चित करें।
जनता से अपील: कोई भी फ्लैट या भूखंड खरीदने से पहले भवन अनुमति, ज़ोनिंग, नक्शा, और निर्माण मंजूरी की पूरी जांच करें ताकि आप किसी भी तरह की धोखाधड़ी का शिकार न हों।
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